Bhagavad Gita Chapter 14, Verse 5

(सत्, रज, तम- तीनों गुणों का विषय)

सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः ।

निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम् ॥

सत, रज,तम, गुण प्रकृति से ही लेते हैं जन्म

वही देह में आत्मा को रखते हैं बंद ।।5।।

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Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 4

श्रीमद्भगवतगीता

अध्याय-14 गुणत्रय विभाग योग-श्लोक 4

सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः ।

तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता ॥

सभी योनि में मूर्तियाॅ होती जो उत्पन्न

उनकी सर्जक है प्रकृति, मैं हूॅ बीज समान।।4।।

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Bhagavad Gita Chapter 14 Verse 3

श्रीमद्भगवतगीता

अध्याय-14 गुणत्रय विभाग योग-श्लोक 3

मम योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन्गर्भं दधाम्यहम् ।

सम्भवः सर्वभूतानां ततो भवति भारत ॥

सदब्रहम (प्रकृति/योनि) में, मैं ही तो करता गभनिधान

जिससे पाता जन्म है जग में सकल जहान।।3।।

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Nachiket

न नरेणावरेण प्रोक्त एष सुविज्ञेयो बहुधा चिन्त्यमान:।

अनन्यप्रोक्ते गतिरत्र नास्त्यणीयान्ह्यतर्क्यमणुप्रमाणात्।।

नैषा तर्केण मतिरापनेया प्रोक्तान्येनैव सुज्ञानाय प्रेष्ठ।

यां त्वमाप: सत्यधृतिर्बतासि त्वादृङ्नो भूयान्नचिकेत: प्रष्टा।।

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Story of Sunday (God Sun)

रविवार अथवा सूर्य भगवान की कथा

रविवार का दिन भगवान सूर्य जी का होता है| इस दिन सूर्य देव जी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है| आइये जानते है प्रभु सूर्य देव की कथा और विधि|

प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी| वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती| रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुन कर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती| सूर्य भगवान की अनुकम्पा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था| धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था| उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी. बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी| अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी| पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया. रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी| आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया| सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई| रात्रि में सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और व्रत न करने तथा उन्हें भोग न लगाने का कारण पूछा| बुढ़िया ने बहुत ही करुण स्वर में पड़ोसन के द्वारा घर के अन्दर गाय बांधने और गोबर न मिल पाने की बात कही| सूर्य भगवान ने अपनी अनन्य भक्त बुढ़िया की परेशानी का कारण जानकर उसके सब दुःख दूर करते हुए कहा- हे माता, तुम प्रत्येक रविवार को मेरी पूजा और व्रत करती हो| मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं और तुम्हें ऐसी गाय प्रदान करता हूं जो तुम्हारे घर-आंगन को धन-धान्य से भर देगी| तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी| रविवार का व्रत करनेवालों की मैं सभी इच्छाएं पूरी करता हूं| मेरा व्रत करने व कथा सुनने से बांझ स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति होती है| स्वप्न में उस बुढ़िया को ऐसा वरदान देकर सूर्य भगवान अन्तर्धान हो गए|

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Hum Katha Sunate Song Lyrics

हम कथा सुनाते

ॐ श्री महा गनाधि पते नमः
ॐ श्री उमामहेश्वरा भ्या नमः

वाल्मीकि गुरुदेव ने
कर पंकज तीर नाम
सुमिरे मात सरस्वती
हम पर हो खुद सवार

मात पीता की वंदना
करते बारंबार
गुरुजन राजा प्रजाजन
नमन करो स्वीकार

हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
हम कथा सुनाते राम शक्ल गुणधाम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

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Sit Outside Temple Stairs

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?

आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है –

अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।

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